कौन है?




शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?
_


बड़े ख़्वाब जिसकी आँखों में हैं खिलते,
आज संदिग्ध नज़रें छुपाए यह कौन है ?

यह भावशून्य सा चेहरा,
कभी था मुख सुनहरा,

इस विराट संसार में अनदेखा न रह जाए,
यह ज़िंदगी का अर्थ है गहरा ।

लोगों के लफ़्ज़ नहीं, धनुष से निकले बाण हैं,
कदम आगे बढ़ा नहीं कि रोकने वाले हज़ार हैं ।


शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?
_


आज ना था मेरा,
कल किसने है देखा ?

कठिन यह मार्ग है,
मनुष्य यह लाचार है,

इस वक्त को न भूलूँगा मैं, 
इस हार को न झेलूँगा मैं ।

जब सफलता का होगा एहसास, 
तब अपने प्रतिबिंब से पूछूँगा मैं,


शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?

© ®
______________________

- शौर्य गुलाटी
SHAURYA GULATI


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Comments

  1. अद्भुत कविता लेखन!!

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  2. Shaurya you are so brilliant. All the emotions and truths of life in one poem. 👏👏👏

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  3. क्या कमाल की कविता है

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  4. Waah! Rise and shine!❤️❤️

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  5. So expressive and heart touching!! Amazing piece of art ❤️

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  6. Wonderful keep up the work always ❤️

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