कौन है?
शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?
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बड़े ख़्वाब जिसकी आँखों में हैं खिलते,
आज संदिग्ध नज़रें छुपाए यह कौन है ?
यह भावशून्य सा चेहरा,
कभी था मुख सुनहरा,
इस विराट संसार में अनदेखा न रह जाए,
यह ज़िंदगी का अर्थ है गहरा ।
लोगों के लफ़्ज़ नहीं, धनुष से निकले बाण हैं,
कदम आगे बढ़ा नहीं कि रोकने वाले हज़ार हैं ।
शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?
_
आज ना था मेरा,
कल किसने है देखा ?
कठिन यह मार्ग है,
मनुष्य यह लाचार है,
इस वक्त को न भूलूँगा मैं,
इस हार को न झेलूँगा मैं ।
जब सफलता का होगा एहसास,
तब अपने प्रतिबिंब से पूछूँगा मैं,
शीश झुकाए यह कौन है ?
आंसू सुखाए यह कौन है ?
© ®
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- शौर्य गुलाटी
SHAURYA GULATI
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Beautiful hai.
ReplyDeletethank you!
Deleteअद्भुत कविता लेखन!!
ReplyDeleteExquisite
ReplyDeletethank you!
DeleteShaurya you are so brilliant. All the emotions and truths of life in one poem. 👏👏👏
ReplyDeletethank you so much! glad you liked it!
Deleteक्या कमाल की कविता है
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteWaah! Rise and shine!❤️❤️
ReplyDeletethank you! :)
DeleteSo expressive and heart touching!! Amazing piece of art ❤️
ReplyDeletethank you! ❣️
DeleteBeautiful work ❤️
ReplyDeletethank you :))
DeleteWow! A beautiful piece!
ReplyDeletethank you!!
DeleteWonderful keep up the work always ❤️
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